कहानी अरे यार! ये मेहता भी न बड़ा बोर आदमी है। क्या बात करूंगा इससे? घंटे भर चिपक जाएगा। जाएगा। कह दो उससे कि कल ऑफिस में मिले मुझसे, अभी मैं सो रहा हूं..., अनुज खीझकर बोला। ऑफिस में तो उनसे रोज ही मिलते हो तुम। कछ खास काम ही रहा होगा जो इतनी दूर चल कर आपसे मिलने घर तक आए हैं। दस मिनट में कछ नहीं बिगड़ जाएगा। मिल तो लो उनसे.., क्षमा ने मनुहार-सी की। कहा न भई, मैं नहीं मिलना चाहता उससे। मेरा मन नहीं है..., अनुज चिढ़कर बोला, तुम जरा-सी एक्टिंग नहीं कर सकतीं मेरे लिए? प्लाज जाकर कह दो न कि में घर पर नहीं हैं। अगर कहीं तम्हारा फोन बजा तो क्षमा के पास भी हर बात की कार मौजट श्री - सुबह-सुबह मुझसे झूठ तो मत बुलवाया करो। तुम जानते हो न कि एक झूठ को छुपाने के लिए दस और बोलने पड़ते हैं। ना बाबा ना, यह सब मुझसे नहीं होगा। मुझे झूठ बोलते हुए बड़ी घबराहट होती है, क्षमा झुंझलाती हुई बोली। यार, तुम जरा मेरी स्थिति भी तो समझो। पूरे हफ्ते खटने के बाद एक संडे मिलता है आराम करने के लिए। उसमें भी ऑफिस के पचड़े सुलझाने लगूं तो छुट्टी का क्या मतलब! अभी मैं नहाया भी नहीं हूं। बेडरूम में हो रही बहस ड्रॉइंग रूम में बैठे मेहता जी तक न पहुंच जाए, इसके लिए क्षमा ने हाथ से इशारा कर बहस खत्म की और घर आए मेहमान के लिए चाय-पानी का इंतजाम करने किचन की ओर चल पड़ी। इधर अनुज ने भी समझ बचपन में झूठ लिया कि क्षमा कुछ नहीं देती हैकई बार करेगी इसलिए हार कर कपड़े बदल कर ड्रॉइंग रूम की ओर चल दिया। 1. संडे की छुट्टी अब बर्बाद तो होनी ही थी। मेहता के जाने के बाद आधे दिन बहानेबाजी पर बहस होगी और बाकी समय दोनों का मूड खराब रहेगा...। क्षमा ने तय कर लिया कि अब - वह ऐसे मुद्दों पर बहस करेगी ही नहीं. जिनका कोई हल न हो। हमेशा यही होता रहा है। अनुज कहता है, तुम क्या मेरे लिए इतना सा झूठ नहीं बोल सकती? वह जवाब देती है, नहीं, अगर झूठ पकड़ा गया तो? मैं ठीक तरह से झूठ बोल ही नहीं सकती। सामने वाला सूरत देख कर समझ नहा सकता। सामन वाला सूरत दख कर समझ लेगा कि झूठ बोला जा रहा है। दोनों अपनी-अपनी कहते, मगर हल न निकलता। क्षमा सब समझती थी। अनुज का विभाग और पॉजिशन ही कुछ ऐसी थी कि रेन अकसर लोग सुबह-शाम आते और अपनी-अपनी समस्याएं लेकर देर तक उसके पास बैठे रहते। पूरे दिन ऑफिस में सिर खपाने हिस्सा के बाद अनुज घर पर ऑफिस के मामले नहीं सुलझाना चाहता था। लाख मना करने के बावजूद दो-चार बंदे तो टपक ही जाते थे। इससे अनुज चिढ जाता। लोग भी तो अजब-गजब टाइप होते हैं। कुछ लोग मतलब की बात करते हैं और चले जाते हैं, मगर कुछ इतना बोलते हैं कि सामने वाला घड़ी देखने लगता है। सुनो! आज तुम लंच पर घर आओगे क्या? सुबह-सुबह चाय की चुस्कियों के बीच क्षमा ने सवाल किया तो अनुज थोड़ा मुस्कुरा दिया। पर सीधे-सीधे मद्दे की बात कहने के बजाय अब वुमा, घुमा-फिरा कर अपनी बात करना क्षमा की जिनका पुरानी आदत है। अनुज ने भी क्षमा के अंदाज में ही सवाल , किया, तुम्हीं बताओ, आऊं या नहीं? अगर तुम बोल बिजी हो तो न आऊं...। वह समझ गया था कि झूठ आज जरूर क्षमा के महिला मंडल की मीटिंग होगी। वैसे आज पार्टी कहां है? क्षमा मस्करा दी, हेवेन रेस्तरां में, मिसेज कालरा की किटी खुली है। आज देखना उनके जलवे! क्यों? क्यों क्या? सीधे पार्लर से निकल कर ही रेन में आगी। उन्हें सजने संवरने का बहत शौक है। आज तो उनकी किटी है। मुझे तो लगता है. कालरा जी की कमाई का आधा हिस्सा पार्लर की भेंट चढ़ जाता होगा। अरे भई तो तुम क्यों पीछे रहती हो? तुम । भी हमारी सैलरी खर्च कर दिया करो पार्लर पर, अनुज नहस कर चुटका लाा छोड़ो भी! मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि इधर-उधर बर्बाद करती फिरूं। न जाने यह अनुज की ईमानदारी पर कटाक्ष सुमन एस. खरे था या गर्व। अनुज ने अपने दिमाग पर ज्यादा जोर डालना मुनासिब न समझा। प्रत्यक्ष में इतना ही बोला, तुम चली जाना। और हां खाने की चिंता मत करना। मैं कैंटीन से मंगवा लूंगा। शाम को घर पहंचते हए देर हो गई क्षमा को। तो, कैसी रही तुम्हारी पार्टी? टाई की नॉट खोलते हुए अनुज ने पूछा। बड़ी मजेदार पार्टी थी आज, क्षमा उत्साह से भरपूर शब्दों पर जोर देकर बोली। पता है, आज मिसेज भल्ला ने अपनी वेडिंग एनिवर्सरी की टीट भी दी थी। रम्या शुक्ला ने अपनी बेटी के एंगेज्मेंट की खबर दी। आज तो पूछो मत, हाऊजी में मेरा फुलहाउस निकला..., नोट लहराते हुए क्षमा ने अपनी विजय पताका फहराई। वाह! और खाया क्या-क्या? खाने की तो पूछो मत! क्षमा की हंसी थमने का ही नाम नहीं ले रही थी...। मिसेज शर्मा ने तो दही भल्ले. समोसे और मिठाइयों का पूरा पहाड़ अपनी प्लेट में सजा लिया था. सीमा ने खाने की होड़ में अपनी शिफॉन की साडी पर चटनी गिरा दी...। ऊ! क्या-क्या होता है किटी में भी...। अच्छा अनुज तुम्हें पता है, रम्या की बेटी अपने कलीग से शादी कर रही है। आजकल रम्या इतनी मोटी हो गई है कि पछो मत. पर उसे लगता है वह स्लिम है... क्षमा हंसती जा रही थी। अनज चपचाप क्षमा की बातें सनता रहा। फिर एकाएक जैसे क्षमा ने विषय बदला, एक अच्छी बात बताती है। राटा आग्नहोत्री के बेटे का आइआइटी में चयन हो गया है। अच्छी रैंक है। मुझसे भी सब पूछने लगीं सोनू के बारे में। मैं क्यों पीछे रहती? मैंने भी कहा कि सोनू का चयन डिफेंस में हो गया है, पर हम उसे वहां नहीं भेज रहे हैं..। विकलांग मगर वह तो पहले राउंड में डिस्क्वॉलिफाइड हो गया था क्षमा? अनुज ने क्षमा की बात काटते हुए कहा तो वह चिढ़ कर बोली, तुम चुप रहो! देखो, मैं अपनी फ्रेंड्स को अच्छी तरह जानती हूं। वे भी तो अपनी-अपनी हांक रही थीं। मैं जानती हूं कि कौन कितना सच बोलता है। मैंने भी अपने बेटे के लिए थोड़ा झूठ बोल लिया तो क्या गुनाह हुआ! कौन-सा उन्हें पता चलेगा कि सोनू का सलेक्शन हुआ है या नहीं। यह सब मैं अपने बेटे के लिए ही तो कर रही हूं। अनुज हैरानी से क्षमा का चेहरा देखता रह गया। झूठ न बाल पाने का दावा करने वाला क्षमा आज कितन आत्मविश्वास से जरा-सा झूठ बोल रही थी! अनुज क्या विकलांग कहता! अपने स्वार्थ के लिए उसने भी कई बार क्षमा से झूठ बोलने को कहा है। क्षमा ने एक्टिंग के गुर तो सीखे। बिना टेनिंग वाली इस टैलेंटेड अभिनेत्री को अनुज कई क्षण तक अपलक देखता रह गया।
आत्मविश्वास